क्रिकेट से जुड़े फैंस को आये दिन ‘फिक्सिंग’ नाम का यह शब्द सुनने को मिल ही जाता है, क्योंकि आईसीसी और इससे जुड़े बोर्ड तमाम कोशिशों के बावजूद फिक्सिंग में पूरी तरह से लगाम लगाने में अब तक कामयाब नहीं हो पाए हैं. आये दिन मैचों में फिक्सिंग की खबरें सामने आ ही जाती है.
भारतीय क्रिकेट भी फिक्सिंग नाम के इस जंजाल से बच नहीं पाया है, कई भारतीय खिलाड़ियों का करियर फिक्सिंग के चलते ही खत्म हुआ है और आज हम आपको अपने इस खास लेख में भारतीय क्रिकेट इतिहास के उन 3 खिलाड़ियों के बारे में ही बताएंगे, जिनका करियर फिक्सिंग में लिप्त पाए जाने के चलते पूरी तरह से खत्म हो गया.
एस श्रीसंत
एस श्रीसंत एक समय में भारत के स्टार तेज गेंदबाज थे, इन्होने भारतीय टीम के लिए खेलते हुए 2007 का टी-20 विश्व कप भी जीता और वह 2011 के भी विश्व कप विजेता खिलाड़ी बने थे.
हालांकि एक अच्छा क्रिकेट करियर होने के बावजूद इन्होने फिक्सिंग के रास्ते को चुना और साल 2013 में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हुए फिक्सिंग कर डाली थी. यह तेज गेंदबाज 2 अन्य खिलाड़ी अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण के साथ मिलकर फिक्सिंग में लिप्त पाए गए थे.
फिक्सिंग के आरोपों के चलते एस श्रीसंत पर बीसीसीआई ने आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि बाद में इस तेज गेंदबाज ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और साल 2020 में ही इनका बैन समाप्त हो गया था.
भले ही इन्हें बैन खत्म होने के बाद अपनी घरेलू टीम केरला के लिए खेलने का मौका मिल गया था, लेकिन बीसीसीआई के चयनकर्ताओं ने इनके चयन के बारे में थोड़ा सा भी विचार नहीं किया.
मोहम्मद अजहरुद्दीन
90 के दशक में मोहम्मद अजहरुद्दीन भारतीय टीम के कप्तान हुआ करते थे. उन्होंने 1992, 1996 और 1999 लगातार तीन विश्व कप में भारत की कप्तानी की थी.
हालांकि इनका क्रिकेट करियर फिक्सिंग में फंसने के चलते खत्म हुआ, दरअसल, साल 2000 में उन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे थे, जिसके चलते बीसीसीआई ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था.
दरअसल, साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये ने अपने बोर्ड को दिए गए एक बयान में कहा था कि उन्हें फिक्सिंग करने के लिए मोहम्मद अजहरुद्दीन ने सट्टेबाजों से मिलवाया था.
8 नवंबर 2012 को, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आशुतोष मोहनता और कृष्ण मोहन रेड्डी की एक कमेटी ने मिले सबूतों के आधार पर मोहम्मद अजहरुद्दीन पर लगाए गए प्रतिबंध को रद्द कर दिया था, अदालत ने यह निर्णय सुनाया था कि प्रतिबंध अवैध था.
हालांकि उस समय लगे बैन के कारण मोहम्मद अजहरुद्दीन का करियर पूरी तरह से खत्म हो गया था, फिर वह भारत के लिए कभी वापस नहीं खेल पाए. हालांकि बाद में वह साल 2019 में हैदराबाद क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष बने.
अजय जडेजा
मध्यक्रम के स्टार बल्लेबाज अजय जडेजा का क्रिकेट करियर भी फिक्सिंग के चलते ही खत्म हुआ था. दरअसल साल 2000 में यह क्रिकेटर भी फिक्सिंग के आरोपों में फंस गया था, जिसके चलते बीसीसीआई ने इन पर 5 साल का प्रतिबंध लगाया था. हालांकि बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने साल 2003 में अजय जडेजा को निर्दोष पाया और फिर से क्रिकेट खेलने की अनुमति दी.
कोर्ट से बरी होने के बाद अजय जडेजा को रणजी क्रिकेट में तो खेलने का मौका मिल गया था, लेकिन वह फिक्सिंग के आरोपों में फंसने के बाद वापस कभी भारतीय टीम के लिए नहीं खेल पाए थे. इन्होने भारत के लिए 196 वनडे मैचों में 37.22 की औसत से 5359 रन बनाए. वहीं 15 टेस्ट मैचों में इनके नाम 26.18 की औसत से 576 रन है.